रेत पर लिखा था तेरा नाम मेरे नाम के साथ,
खुशनसीब थे कि हो गया ये उम्र भर का साथ।
खुशबू की तरह तुमको रूह में उतारा है,
जाओ कहीं भी लेकिन रहता है साया साथ।
दुआओं में था असर हम एक दूजे को मिल गये,
लोगों की भी नज़र में है तेरा और मेरा साथ।
खुशी की थी इम्तिहां कि आंख में पानी सा भर गया,
गम और खुशी तो बस ऎसे ही चलते हैं साथ साथ।
2 comments:
फोटो भी खूबसूरत है-कविता के साथ-
खुशबू की तरह तुमको रूह में उतारा है,
जाओ कहीं भी लेकिन रहता है साया साथ।
दुआओं में था असर हम एक दूजे को मिल गये,
लोगों की भी नज़र में है तेरा और मेरा साथ।
ये लाइनें क्या प्रत्यक्षा के दबाव में लिखीं गयीं?
खुशी की थी इम्तिहां कि आंख में पानी सा भर गया,
गम और खुशी तो बस ऎसे ही चलते हैं साथ साथ।::)
सारिका की सुन्दर कवितायें गुलाब पर ओस की बूंदों की तरह लगती हैं.
अनूप जी, ये तो हमारा (मेरा और सारिका का ) मिज़ाज कुछ एक सा है , सो एक से रंग आपको दिखते हैं :-))
प्रत्यक्षा
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