वो पंख फैलाकर उड़ना चाहती थी...
सारे आकाश के विस्तार को छू लेना चाहती थी...
लेकिन समाज के बहेलियों ने उसके पंख काट दिए,
और पटक दिया उसे एक अंधेरी कोठरी में....
डाल दी उसके क़दमों में बेड़ियाँ ।
पर समय बीता.... और सदियों से दबायी हुयी लड़की जाग गयी ।
पंखों की नयी कोंपले रोशनी के साथ ऐसे फूटीं कि
बहेलियों की आँखें चौंधिया गयीं....
चिड़ियों सी लड़कियाँ उड़ गयीं आँख के समाने से....
देखे अब कब तक पंख काटेंगे ये बहेलिए....
की लड़कियों ने उड़ना और
पंखों ने उगना अब सीख लिया है।
--सारिका सक्सेना
सारे आकाश के विस्तार को छू लेना चाहती थी...
लेकिन समाज के बहेलियों ने उसके पंख काट दिए,
और पटक दिया उसे एक अंधेरी कोठरी में....
डाल दी उसके क़दमों में बेड़ियाँ ।
पर समय बीता.... और सदियों से दबायी हुयी लड़की जाग गयी ।
पंखों की नयी कोंपले रोशनी के साथ ऐसे फूटीं कि
बहेलियों की आँखें चौंधिया गयीं....
चिड़ियों सी लड़कियाँ उड़ गयीं आँख के समाने से....
देखे अब कब तक पंख काटेंगे ये बहेलिए....
की लड़कियों ने उड़ना और
पंखों ने उगना अब सीख लिया है।
--सारिका सक्सेना
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