Saturday, January 21, 2017

कलाकार

कलाकार की कृति को सब देखते हैं,

सराहते हैं।

फ़्रेम में लगाकर दीवार पर सजाते हैं।

पर कौन समझता है 

उस कलाकार के दर्द को,

जिसने सृजन की पीड़ा को सहा है।

कौन देख पता है कि कलाकार अपनी रचना में

लहू के रंग भरता है।

बस सब देखते है उसकी कृति को,

और भूल जाते हैं 

कलाकार को

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