ज़िन्दगी आजकल ग्यारह नंबर की गाड़ी पर आ गयी है। कार बाढ़ की भेंट चढ़ चुकी है... इससे पहले कभी सोंचा नहीं था कि कार इतनी ज़रूरत की चीज़ है.... सालों पहले हमारे छोटे से शहर में तो कार विलासिता की चीज़ हुआ करती थी..... पता ही नहीं चला कब ये ज़रूरत की चीज़ बन गयी....स्कूटर चलाना आता तो है पर हम ट्रैफिक में कभी भी इसे नहीं चला पाते....कार ही अपनी साथी थी....और अब घर से निकलने से पहले दस बार सोंचते हैं....ज्यादातर चीजें Amazon और Big Basket से आ रही हैं....एक posotive thought बस यही है कि शायद चल-चल कर थोड़ा वजन ही कम हो जाय :-)
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