तुझको सबकुछ ख़त में लिखना
जीस्त जैसे तेरे नाम हो लिखना
आँख नहीं हटती है तुझसे
चाँद समझकर तुझको तकना
हर एक गली जैसे तेरा घर हो
हर इक मोड़ पे ऐसे रुकना
आकर कहीं फिर जा न सको तुम
कभी तो ऐसे खुल के मिलना
तेरी याद के मौसम में फिर
ज़ख्मों का फूलों सा खिलना
अपने हांथों की रेखा में
मेरा भी कभी नाम तो लिखना
20 comments:
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति है आपकी रचना...इसे ग़ज़ल न कहें क्यूँ के इसका व्याकरण ग़ज़ल के अनुरूप नहीं है...फिर भी भाव और शब्द बहुत सुन्दर पिरोये हैं आपने...बधाई
नीरज
आकर कहीं फिर जा न सको तुम
कभी तो ऐसे खुल के मिलना
... dil ke dwaar khatkhatati rachna
सारिका जी,
अभिव्यक्ति अच्छी है ... भाव बहुत अच्छे हैं .... बधाई
लेकिन नीरज जी की बात पर गौर करें .....
बहरहाल, आप के ब्लॉग पर बहुत दिनों बाद आया ... और एक अच्छी रचना मिली ..... शुक्रिया !!
धन्यवाद नीरज जी!
ग़ज़ल के बहर और मात्राओं का हमें ज्ञान नहीं है, बस ग़ज़ल जैसा लगा तो इसे ग़ज़ल लिख दिया|
बहुत सुंदर सारिका ....प्रेम में पगी हैं सभी पंक्तियाँ.....
मैडम जी
आप बहुत अच्छा लिखती है।
आपकी रचनाओ को पढ़कर बहुत अच्छा लगा।
राजेन्द्र सिंह बिष्ट (नेगी)
मेरठ (उत्तर प्रदेश)
बहुत सुंदर नज़्म ...
धन्यवाद...
''क्रिएटिव मंच.....'
बहुत सुन्दर ..
pyari rachna....
अपने हांथों की रेखा में
मेरा भी कभी नाम तो लिखना
aur pyar darshati rachna..!
आकर कहीं फिर जा न सको तुम
कभी तो ऐसे खुल के मिलना
खुबसूरत रचना |
अपने हांथों की रेखा में
मेरा भी कभी नाम तो लिखना.
सुन्दर व्यंजना है आपकी . आभार -अवनीश सिंह चौहान
अपने हांथों की रेखा में
मेरा भी कभी नाम तो लिखना
......khwaish badi pyaari h.........aur gazal ultimate.
महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.
आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा. हिंदी लेखन को बढ़ावा देने के लिए तथा पत्येक भारतीय लेखको को एक मंच पर लाने के लिए " भारतीय ब्लॉग लेखक मंच" का गठन किया गया है. आपसे अनुरोध है कि इस मंच का followers बन हमारा उत्साहवर्धन करें , साथ ही इस मंच के लेखक बन कर हिंदी लेखन को नई दिशा दे. हम आपका इंतजार करेंगे.
हरीश सिंह.... संस्थापक/संयोजक "भारतीय ब्लॉग लेखक मंच"
हमारा लिंक----- www.upkhabar.in/
बहुत सुंदर,खुबसूरत रचना |
बहुत अच्छी पोस्ट, शुभकामना, मैं सभी धर्मो को सम्मान देता हूँ, जिस तरह मुसलमान अपने धर्म के प्रति समर्पित है, उसी तरह हिन्दू भी समर्पित है. यदि समाज में प्रेम,आपसी सौहार्द और समरसता लानी है तो सभी के भावनाओ का सम्मान करना होगा.
यहाँ भी आये. और अपने विचार अवश्य व्यक्त करें ताकि धार्मिक विवादों पर अंकुश लगाया जा सके., हो सके तो फालोवर बनकर हमारा हौसला भी बढ़ाएं.
मुस्लिम ब्लोगर यह बताएं क्या यह पोस्ट हिन्दुओ के भावनाओ पर कुठाराघात नहीं करती.
nice gajal or poetry just very close to heart.
बहुत अच्छी कविता
Realy Me Bahut Bhadiya Kavita Hai...
आज पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ.अब लगता है पूरा ब्लॉग पढ़े बिना नहीं रहा जायेगा.
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