बातें जो दिल से निकलीं ...पर ज़ुबां तक न पहुंची ...बस बीच में ही कहीं कलम से होती हुयी पन्नों पर अटक गयीं... यही कुछ है इन अनकही बातों में...
ये मुक्तक तो बांध लेते हैं।रोज वही सूरज का ढलना,नैनों में दीपक का जलना,सदियों सी इक शाम बिताकर;रात गये फिर उनसे मिलना।वाह।
सच ! बहुत सुन्दरप्रत्यक्षा
आपका पहला वाला मुक्तक तो वाकई अद्भुत है। वाह...।
Post a Comment
3 comments:
ये मुक्तक तो बांध लेते हैं।
रोज वही सूरज का ढलना,
नैनों में दीपक का जलना,
सदियों सी इक शाम बिताकर;
रात गये फिर उनसे मिलना।
वाह।
सच ! बहुत सुन्दर
प्रत्यक्षा
आपका पहला वाला मुक्तक तो वाकई अद्भुत है। वाह...।
Post a Comment