उदासी और मन का जरूर
कविता से कुछ गहरा नाता है;
जहां घिरे कुछ बादल गम के ,
गीत नया बन जाता है!
आंखे हैं या बादल हैं ये;
भेद न इनका हम जानें.
झङी लगी हो जब अश्कों की,
नज़र कहां कुछ आता है।
सांझा दर्द है हम दोनों का
आंखे मेरी, आंसू तेरे;
बहुत प्यार हो जब 'हम-तुम' में
कुछ का कुछ हो जाता है।
P.b. Shelley का एक वाक्य याद आता है:-
Our sweetest songs are those that come from saddest thoughts.
7 comments:
Khusi ho ya gamm
Antermane se futti tarang
Aansuyon kee boondee
khila deti hansi ke kusum.
Khusi ho ya gamm
Antermane se futti tarang
Aansuyon kee boondee
khila deti hansi ke kusum
SONU JI
AAPKI KAVITAYEN PADIN.
AAPKI PATRIKA AUR WEWSITE DEKHI AAPKE BARE ME AUR AAPKE VICHAR JANKAR BAHUT ACHCHHA LAGA MERI BADHAI SWEEKAREN.
KABHI BARAT AAYEN TO BATAYEN.
MAIN BHI EK ADNA SA RACHNAKAR HUN.
KUCHH AAP ANUBHUTI AUR MERIWEWSITE
www.suniljogi.com ME PAD SAKTI HAIN.
AASHA HAI KI AAPKA UTTAR AWASYA MILEGA.
PUNAH SHUBKAMNAYEN AUR NAMASKAR SAHIT
DR. SUNIL JOGI
आंखे हैं या बादल हैं ये;
भेद न इनका हम जानें.
झङी लगी हो जब अश्कों की,
नज़र कहां कुछ आता है।
ये तो बढ़िया लगीं लाइनें। बधाई!
धन्यवाद अनूप जी,
आपके व्यंग्य लेख की शब्दांजलि पर काफई तारीफें आ रहीं हैं।
बधाई
Today while serfing read some similar sentiments about "ankahi batein" and wrote this...
वो बातें जो कह न सकी तुम
लेटा रहता था जब आँखें मूँदे
तुम्हारी झोली में मैं रख कर सर
वो बातें जो कह न सकी तुम
जो कहना तो चाहती थी पर
कुछ शर्मा कर,
कुछ लज्जा कर किसी बहाने
टाल दिया करती अक्सर
वो बातें जो कह न सकी तुम
रह गई अनकही अधूरी
अब भी आ-आ कर हवा
कानों में कह जाती है
गा उठती हैं दिशाँए
पत्ते करते हैं सर-सर
वो तुम्हारे प्रेम के इज़हार का अन्दाज़ था
जिसे जानते थे तुम सब
बस इक मैं ही था बे-खबर
नवनीत बक्शी
tujko khoke bhi na khatm hoga tera intjar tamam umra tere dil pe dastak dete reh jayenge.
dear sarika ji,
will u plz let me know why the past can not burry itself in peace and stop haunting us
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