Saturday, June 04, 2005

यादें

तुम कही तो होगे
हमें याद तो करते होगे।
यादें भूलाना आसां होता
तो हम कबके तुम्हे
भूल गये होते;पर
तुम अब भी
चुपके से
कभी किसी खिङकी से,
या किसी दरवाजे से
यादों में दस्तक दे जाते हो।
अपने कहीं अतीत में होने का
अहसास करा जाते हो
फ़िर ऎसे ही कहीं
हम भी तो
तुम्हारी यादों के किन्ही कोनों में
ज़िन्दा होंगे।
बेवजह किसी की बातों में
या यूं ही किसी के हंसने में
हम तुमको दिख जाते होंगे।
और फ़िर तुम कुछ झल्लाकर
या मुस्कुराकर
मेरी यादों को
दिल से भी दूर झटकते होगे।
दुनिया की रंगीनी में
कुछ रंग खुशी के तलाशते होगे।
....
ये जाने कैसा रिश्ता है
जो कभी बना नहीं
पर जाने कितना गहरा है
जो कहीं नहीं होकर भी
किस शान से दिलों में जिन्दा है।

4 comments:

Anonymous said...

manas patal per smriti ke ghumadte badal kabhi khusee ke tarane ban jate hain to kabhi virah kee boonde tapka kar yadoo ke jharokho main chupke se jhank lete hain.
sunder kriti,sajeev hitran
jai hind
gammbindia

Anonymous said...

kho gayee atit kee gahraiyon main
madhur smritiyo kee uthati huyee tarango se
udvelit ho raha hriday sagar
sajeev ho rahe atit kee ek-ek khsan
sajal ho rahi ankho main
aviral bahne lagi ashru dharA
smritiyo ke gharaunde main
vyathit hriday ke dard ko chhipaya
asha ka deep prajwalit
suni ankho mai
unka vihval hriday bhee hoga aatur
apno se milan kee aasash main.
brijesh

Anonymous said...

Not Comments Per Bahut Accha

I am Proud of You

Anonymous said...

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