बातें जो दिल से निकलीं ...पर ज़ुबां तक न पहुंची ...बस बीच में ही कहीं कलम से होती हुयी पन्नों पर अटक गयीं... यही कुछ है इन अनकही बातों में...
Tuesday, January 31, 2017
Monday, January 23, 2017
Saturday, January 21, 2017
कलाकार
कलाकार की कृति को सब देखते हैं,
सराहते हैं।
फ़्रेम में लगाकर दीवार पर सजाते हैं।
पर कौन समझता है
उस कलाकार के दर्द को,
जिसने सृजन की पीड़ा को सहा है।
कौन देख पता है कि कलाकार अपनी रचना में
लहू के रंग भरता है।
बस सब देखते है उसकी कृति को,
और भूल जाते हैं
कलाकार को!
Monday, January 09, 2017
Sunday, January 08, 2017
चिड़ियों सी लड़कियाँ
वो पंख फैलाकर उड़ना चाहती थी...
सारे आकाश के विस्तार को छू लेना चाहती थी...
लेकिन समाज के बहेलियों ने उसके पंख काट दिए,
और पटक दिया उसे एक अंधेरी कोठरी में....
डाल दी उसके क़दमों में बेड़ियाँ ।
पर समय बीता.... और सदियों से दबायी हुयी लड़की जाग गयी ।
पंखों की नयी कोंपले रोशनी के साथ ऐसे फूटीं कि
बहेलियों की आँखें चौंधिया गयीं....
चिड़ियों सी लड़कियाँ उड़ गयीं आँख के समाने से....
देखे अब कब तक पंख काटेंगे ये बहेलिए....
की लड़कियों ने उड़ना और
पंखों ने उगना अब सीख लिया है।
--सारिका सक्सेना
सारे आकाश के विस्तार को छू लेना चाहती थी...
लेकिन समाज के बहेलियों ने उसके पंख काट दिए,
और पटक दिया उसे एक अंधेरी कोठरी में....
डाल दी उसके क़दमों में बेड़ियाँ ।
पर समय बीता.... और सदियों से दबायी हुयी लड़की जाग गयी ।
पंखों की नयी कोंपले रोशनी के साथ ऐसे फूटीं कि
बहेलियों की आँखें चौंधिया गयीं....
चिड़ियों सी लड़कियाँ उड़ गयीं आँख के समाने से....
देखे अब कब तक पंख काटेंगे ये बहेलिए....
की लड़कियों ने उड़ना और
पंखों ने उगना अब सीख लिया है।
--सारिका सक्सेना
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