ज़िन्दगी फिर से अपनी बंधी हुयी रफ्तार से चलने लगी है। कई दिनों से मन हो रहा है कुछ लिखने का पर बीच में काफी लम्बा गैप सा आ गया है इसलिये कलम को सूझ नहीं रहा है कि कौन सा टूटा सिरा कहां से पकडे।
पिछले काफी दिनों से कुछ नहीं लिखा। कारण अनेक थे। पहले कम्प्यूटर खराब हो गया उसके बाद छुट्टियों में हैदराबाद चले गये। उसके बाद तो मसरूफियत का सिलसिला ऎसा चला कि अब थोडी फुरसत मिली है। पतिदेव के जाब बदलने की वजह से शहर के एक कोने से दूसरे कोने में शिफ्ट होना पडा। यूं तो बचपन से ही घर बदलना, नयी जगहों पर जाना हमें बहुत पसंद रहा है, पर बडे होने के बाद ही असली आटे दाल का भाव समझ में आता है। जगह बदलने के साथ सबसे पहली समस्या आती है बच्चों के स्कूल बदलने की। हमारी बडी बिटिया देहली पब्लिक स्कूल में पढती थी। यूं तो चाहें तो नई जगह पर भी डी.पी.एस. में ट्रांस्फर हो सकता था। पर हमें ये स्कूल पसंद नहीं था तो सोंचा नई जगह पर नये स्कूल की तलाश की जाय। लोगो से पूंछा, इंटरनेट पर भी ढूंढा। तो एक नये तरीके के स्कूलों के बारे में पता चला जो कि अन्कन्वेंशनल स्कूल कहलाते हैं| ऎसे स्कूल में पारम्परिक स्कूली पढाई के साथ बच्चे पूर्ण विकास के बारे में भी ध्यान दिया जाता है। हमने जे Krishnamurti के वैली स्कूल के बारे में तो सुना था और ये भी पता था कि यहां एड्मिशन बहुत ही मुश्किल से मिलता है। हमारे एक पारिवारिक मित्र ने बताया कि वैली स्कूल के पैटर्न पर ही एक और स्कूल है प्रक्रिया ग्रीन विज़डम स्कूल। हमने इस स्कूल के बारे में खोजबीन की। इत्त्फाक से ही इस स्कूळ में चौथी क्लास में एक ओपनिंग थी और हमारी बिटिया को उसमें एड्मिशन मिल गया। छोटी वाली को भी प्ले ग्रुप में उसी स्कूल में एडमिशन मिल गया।
स्कूल के बाद फिर शुरु हुई घर ढूंढने की जद्दोजहत। बहुत से घर देखे, किसी में कुछ पसंद आता था किसी में कुछ। कुछ हमें पसंद आता तो पतिदेव को नापसंद। हमारे पतिदेव को हमेशा ऊंचे फ्लोर पसंद आते हैं, और हमे धरती से जुडे रहना भाता है। खैर हम हमेशा कम्प्रोमाइज़ करने में यकीन रखते हैं। पहले रह रहे थे सातवें और आखिरी फ्लोर पर, और इस बार पसंद आया १४वां फ्लोर। पर अपार्टमेंट ऎसा था कि देखते ही पसंद आ गया। शोभा के अपार्टमेंट की यही खासियत है कि फ्लोर प्लान और कंस्ट्रक्शन इतना बढिया होता है कि आप पहली बार में ही दिल हार बैठते हैं।
खैर फिर शुरु हुआ पैकिंग और मूविंग का सिलसिला। अपने पिछले मूविंग अनुभव (यूएस से बैंगलोर)से कम्पेयर करें तो ये मूविंग बहुत आराम से निबट गयी। अब सबकुछ एक ढर्रे पर आ गया है। अपार्टमेंट में सबकुछ सैट हो गया है। कामवाली भी मिल गयी है। बच्चों ने स्कूल जाना शुरु कर दिया है। ब्राड्बैंड कनैक्शन भी आ गया है। तो अब बस हम हैं और हमारा डैस्कटाप। इतने सारे ब्लाग्स को फालो कर रहे हैं, दो दिन न पढो तो गूगल रीडर पर संख्या बढती जाती है। और हम तो करीब महीना भर से कुछ नहीं पढ पाये थे। करीब ८०० पोस्ट थीं गूगल रीडर पर पढने के लिये। पिछले तीन दिन से उन्हें ही पढने में लगे थे। आज जब सब पढ कर खत्म किया तो यूं ही कुछ लिखने का मन हो आया और बस...
14 comments:
nice post
शहर और घर बदलना वाकई एक मुश्किल kaam है. नई jagah जम जाने की बधाई!
चलो...अच्छा लगा जान, अब सबकुछ व्यवस्थित हो गया और तुम ब्लॉग जगत के भ्रमण पर निकल सकोगी ...
Unconventional School की बात तो बड़ी अच्छी है...होमवर्क नहीं होगा...मेरे ख़याल से यूनिफॉर्म भी नहीं होगा...अब अगली पोस्ट ,उस स्कूल के बारे में लिखो...हमें नई जानकारी मिलेगी..
इतना सुन्दर घर है..पर फोटो मिसिंग....एक तो लगा दो..:)
शुक्रिया माधव जी एवं अनुराग जी!
रश्मि दी! अब अगली पोस्ट प्रक्रिया स्कूल के बारे में पक्की।
घर के फोटो भी जल्दी ही दिखायेंगे:-)
आज पहली बार आना हुआ है आपके ब्लॉग पर, अच्छा लगा। नई जगह पर जाकर सैट होना वाकई हिम्मत का काम है।
आपके दूसरे ब्लॉग http://shabdokiunjali.blogspot.com/ पर काफ़ी समय से कुछ नहीं आया, अब डालियेगा।
आभार।
चलिये , धीरे धीरे सब सेट हो जायेगा
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
sahi hai unconventional school bas dekhiyega kahin aage convenional na ban jaaye....badhiya rochak aalekh...
सारिका जी जीवन की आपाधापी में कई जंग ऐसी हैं जिन्हें हमें न चाहते हुए भी लड़ना पड़ता है. बेहतरीन प्रस्तुति. लगातार आगे भी पढ़ने को मिलेंगी.www.aidichoti.blogspot.com.
ise doue se kai var gujre hai hum bhee yade taza ho gayee.accha school first priority rahtee hai parents ke liye........
accha laga blog par aakar.......
Hi Sarika. I visited your blog because my blog is also Ankahi Baatein. Accha laga aapka blog padhkar.
Nikhil Srivastava
http://ankahibaatein.blogspot.com/
सब काम ठीक से हो गए, बधाई
आपके शब्दों में इतना अपनत्व है कि लगा कोई पास बैठ कर हाल सुनाता हो.
यह पोस्ट पढ़कर अच्छा लगा। किशोर चौधरी की बात से सहमत हूं।
आपकी यह यायावरी पोस्ट अच्छी लगी।
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