राहें हज़ार हैं यहां, पर मंज़िलें कहां?
तुमसे मिलाये जो हमें, वो रहगुज़र कहां?
मौसम वस्ल के आये, आकर चले गये।
नसीब जिसका हो खिज़ां, उसको बहार कहां।
मिलते ही हमसे कहते हो, 'कहां हो आजकल?'
हम तो हमेशा हैं यहीं, रहते हो तुम कहां?
उसकी तलाश में भटके हर सू यहां वहां,
ढूंढा न अपने दिल में ढूंढा कहां कहां।
जिसकी तलाश में छोडा दुनिया औ' दीन सब,
अलहदा है वो सभी से उसकी मिसाल कहां।
20 comments:
bahut khoob
अच्छे ख्यालात का मुजाहिरा किया है आपने अपनी इस गजल में.
मिलते ही हमसे कहते हो, 'कहां हो आजकल?'
हम तो हमेशा हैं यहीं, रहते हो तुम कहां?
बहुत खूबसूरत बात कही है .... अच्छा है शेर ....
बहुत अच्छी ग़ज़ल
उसकी तलाश में भटके हर सू यहां वहां,
ढूंढा न अपने दिल में ढूंढा कहां कहां।
Very nice post...!!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
मुझे तो अंतिम पंक्तियों ने बाँधा -
"
जिसकी तलाश में छोडा दुनिया औ' दीन सब,
अलहदा है वो सभी से उसकी मिसाल कहां।"
प्रविष्टि का आभार ।
शानदार!
बहुत ही शानदार गजल पढ़ने को मिला.
gazal bahr men hai kya?
Quite Touching, I liked it.
Good work.
:)
aapne jo kah diyaa badhiya kahaa hai
ab hamaare kahne kuchh savaal kahaan !!
abhi ham kuchh bujhe-bhuje se hain abhi hamame kuchh kahane kaa haal kahaan...!!
haan behtar likha hai aapne....likhte rihiye...hamaari shubhkaamnaayen....!!
उसकी तलाश में भटके हर सू यहां वहां,
ढूंढा न अपने दिल में ढूंढा कहां कहां।
वाह ........ग़ज़ल के शेर अच्छे हैं.....( मगर कुछ तकनीकी कमियां जरूर रहीं कृपया अन्यथा न लें ).......भाव पक्ष तो बहुत अच्छा है!
Ghazal bahut sundar hai...har sher achha hai...shayad ek jagah behr me kuch kami reh gayi hai....par all in all...bahut sundar hai.
Wah!kya khoob gazal likhi hai aapne. bahut umda.
bhaav achhe hain...ghazal ghazal ki barikiyon ke saath likhi jati to aur achhi banti ..
मौसम वस्ल के आये, आकर चले गये।
नसीब जिसका हो खिज़ां, उसको बहार कहां।
क्या बात है...बड़ी ही ख़ूबसूरत ग़ज़ल है
जिंदगी के विभिन्न रंगों से रंगी सुन्दर गजल।
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कौन हो सकता है चर्चित ब्लॉगर?
पत्नियों को मिले नार्को टेस्ट का अधिकार?
सारिका जी.....
अच्छी ग़ज़ल कहने की कोशिश निश्चित ही सुखद है....!
राहें हज़ार हैं यहां, पर मंज़िलें कहां?
तुमसे मिलाये जो हमें, वो रहगुज़र कहां?
मौसम वस्ल के आये, आकर चले गये।
नसीब जिसका हो खिज़ां, उसको बहार कहां।
अच्छा नज़ारा है......!
मिलते ही हमसे कहते हो, 'कहां हो आजकल?'
हम तो हमेशा हैं यहीं, रहते हो तुम कहां?
बहुत खूब......!
bahut acchee lagee apkee gazal........
Aabhar
सारिका सक्सेना जी
घूमते घामते आज आपके ब्लॉग पर पहुंचा हूं …
विभिन्न फूलों का बग़ीचा-सा लगा ।
बधाई और शु्क्रिया के साथ अपनी ख़ास पसंद का एक फूल अपने साथ लिए जा रहा हूं
उसकी तलाश में भटके हर सू यहां वहां,
ढूंढा न अपने दिल में ढूंढा कहां कहां
- राजेन्द्र स्वर्णकार
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