बातें जो दिल से निकलीं ...पर ज़ुबां तक न पहुंची ...बस बीच में ही कहीं कलम से होती हुयी पन्नों पर अटक गयीं... यही कुछ है इन अनकही बातों में...
Wednesday, January 20, 2010
बसंत पंचमी से जुडी बचपन की यादें
बसंत पर अभी अभी ही एक पोस्ट डाली है। पर मन अभी भी कुछ और लिखने का हो रहा है। बचपन से जुडी कितनी यादें जहन में आ जा रही हैं। सोंचते हैं उन्हीं को जोड कर कुछ पोस्ट सा बना दें।
बचपन में बसंत पंचमी पर घर में एक उत्सव का सा माहौल होता था। ये दिन हमारे पर दादाजी श्री रामचन्द्र जी का जन्मदिन होता है। और हमारे यहां बहुत धूम-धाम से मनाया जाता है। हम सभी सुबह से ही पीले-बसंती कपडे पहन कर तैयार हो जाते थे। ये पूरा दिन हम लोग उनकी समाधिस्थल पर मनाते थे। वहीं पर चूल्हा जलाकर तहरी बनाई जाती थी। गोबर के उपलों पर हम लोग आलू और शक्करकंदियां भूनते थे। भुने हुये आलू और हरे धनिया की खट्टी चटनी! अब ऎसा स्वाद कहां मिलता है। शांतिपाठ के बाद पीली बूंदी का पर्शाद चढता था।
ये दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। हमें याद है अगर किसी बच्चे के कान छिदवाने हों तो बसंत के दिन ही चांदी की बालियों से कान छेदे जाते थे। हमारे कान भी बसंत के दिन ही शायद जब हम तीन साल के रहे होंगे तब छेदे गये थे। कुछ ज्यादा याद नहीं है बस इतना याद है कि हम बहुत रोये थे तब।
और हां बसंत के दिन तो पतंगो से आसमान पटा रहता था। अब भी शायद वहां ऎसे ही बसंत मनायी जाती होगी। हमारी यादों में तो वो दिन ऎसे ही सहेजे हुये रखे हैं।
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10 comments:
अब तो कुछ ऐसा नहीं होता या सब यादों में है ...:)
ek vo bhi basant tha ab bhi basant hai,par bahut kuchh badala hua.
सुंदर
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाये ओर बधाई आप को .
आपको भी वसंत पंचमी और सरस्वती पूजन की शुभकामनाये !
हाँ...बसंत अब कहाँ मनता है ऐसा..
लेकिन हैरानी की बात यह है की बसंत पकिस्तान में बहुत धूम-धाम से मानता है..मैंने लगभग ५ साल पहले इसपर एक फिल्म बनाई थी...आज भी बसंत पीले कपड़ों और पतंगबाजी ककरेमनाई जाती हैं पकिस्तान में..
अच्छा लगा आपको पढना..
शुक्रिया..
आपको भी वसंत पंचमी और सरस्वती पूजन की शुभकामनाये !
हां अब तो यादें ही शेष हैं, आज ऐसा कुछ भी नहीं होता. लेकिन बंगाल में किसी हद तक वसंतपंचमी की परम्परायें ज़िन्दा हैं.
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाये
तहरी का अर्थ मुझे कृप्या बताएं। संस्मरण बहुत अद्भुत रहा।
तहरी चावल और सब्जियां मिलाकर बनायी जाती है। हल्दी डालने के कारण इसका रंग पीला होता है, इसलिये इसे बसंत पंचमी पर बनाया जाता है। इंग्लिश में चाहें तो फ्राइड राइस कह सकते हैं।
आप सभी का शुक्रिया!
बहुत बाद में जाना की अतीत कितना नम होता है,
हम भी खूब रोय दास्ताँ तुम्हारी पढ़ह कर.
देर में ही जाना पर जाना तो सही,
कि किसी के सहारे ही सही, पहुँच कितनी करीब होती है.
खुश रहो रुलाया ही सही, कुछ तो किया,
हमारी बात और है, तुम हमेशा यों ही,
जैसी तस्बीर में दिखती हो, मुस्कराती रहो.
सुमन दिनेश, फतेहगढ़ उत्तर प्रदेश.
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