Tuesday, November 07, 2006

हमारी नई कृति और एक लम्बी अनुपस्थिति की वजह


वरलक्ष्मी [वरम] जन्म : १२ अक्टूबर २००६

"भर गई मेरे हांथों के प्याले में
एक नन्हीं सी मुस्कान
उठे थे हांथ जो दुआ के लिये
वो पा गये वरदान।"



6 comments:

विजय वडनेरे said...

सारिका जी,

लक्ष्मी के आगमन की बहुत बहुत बधाईयाँ.
नाम भी बिल्कुल उपर्युक्त है - वरलक्ष्मी...!!

वरम को हमारा -स्नेह!

२री वाली तस्वीर में तो बिल्कुल कुऽचीऽ कुऽचीऽ लग रही है. :)

Nishikant Tiwari said...

आ गया पटाखा हिन्दी का
अब देख धमाका हिन्दी का
दुनिया में कहीं भी रहनेवाला
खुद को भारतीय कहने वाला
ये हिन्दी है अपनी भाषा
जान है अपनी ना कोई तमाशा
जाओ जहाँ भी साथ ले जाओ
है यही गुजारिश है यही आशा ।
NishikantWorld

Shikha Deepak said...

जाने कहाँ तार से तार जुड़ते गए और हमें तुम्हारा ब्लॉग मिल गया। ऎसी नाइंसाफी न करो, अपनी कलम के कमाल से हमें और महरूम न रखो। अरे भई फ़िर से लिखना शुरू करदो। हमें इन्तजार रहेगा।

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

"भर गई मेरे हांथों के प्याले में
एक नन्हीं सी मुस्कान
उठे थे हांथ जो दुआ के लिये
वो पा गये वरदान।"
badhaayi.....badhaayi.....badhaayi.....apki khushi se hamari bhi phoolwaari bhar aayi....laxmi ko hamaare aashirvaad kee shahnaayi.....!!

puja kislay said...

jitni pyaari beti hai, utne hi pyaare shabd...hamara bhi ashirvad

स्वप्न मञ्जूषा said...

bahut khoobsurat panktiyaan aapki..
aur aapki bitiya usse bhi jtada khoobsurat.
hamri taraf se bhi use bahut pyar aasheerwaad...