बातें जो दिल से निकलीं ...पर ज़ुबां तक न पहुंची ...बस बीच में ही कहीं कलम से होती हुयी पन्नों पर अटक गयीं... यही कुछ है इन अनकही बातों में...
तम से भरे मन के गगन में तुम दीप के जैसे जले.
जून की इस तपन में तुम छाँव के जैसे मिले!