तुझको सबकुछ ख़त में लिखना
जीस्त जैसे तेरे नाम हो लिखना
आँख नहीं हटती है तुझसे
चाँद समझकर तुझको तकना
हर एक गली जैसे तेरा घर हो
हर इक मोड़ पे ऐसे रुकना
आकर कहीं फिर जा न सको तुम
कभी तो ऐसे खुल के मिलना
तेरी याद के मौसम में फिर
ज़ख्मों का फूलों सा खिलना
अपने हांथों की रेखा में
मेरा भी कभी नाम तो लिखना