ज़िन्दगी में कुछ लम्हे हाइपर्लिंक्ड से होते है....
बस एक जरा सी क्लिक के साथ एक नया सफ्हा खुल जाता है.................
और कभी कभी लिक नहीं भी खुलता, और पेज नाट फाउन्ड का बोर्ड आ जाता है.......
बार-बार क्लिक करने पर भी कुछ याद नहीं आता.......
पता नहीं क्या लिखना था और क्या लिख रहे हैं,
फिर कभी
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ReplyDeleteकम्प्लीट नेट-कविता !
ReplyDeleteबेहद खूबसूरती से शब्दों का उचित अर्थ-संयोजन किया है आपने !
अनोखी रचना!
ReplyDeleteबिल्कुल ताज़ा प्रतीक.नई नवेली सुन्दर रचना.
ReplyDeleteachchi baat...
ReplyDeletenice poem! i really like it!
ReplyDeleteबढ़िया जी....ये तो बात की बात में कविता बन गयी...:)
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