tag:blogger.com,1999:blog-13168154.post113233045550522838..comments2023-10-29T09:36:44.479-05:00Comments on अनकही बातें: यादें बचपन की.....Sarika Saxenahttp://www.blogger.com/profile/07060610260898563919noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-13168154.post-44941599063816936172008-08-26T05:54:00.000-05:002008-08-26T05:54:00.000-05:00sarika ji aapke bachpan ki yaadon ne mujhe bhi kai...sarika ji aapke bachpan ki yaadon ne mujhe bhi kai saalon pahle chode hue school ki yaad dila di. har saturday ko mere school me BALSABHA hoti thi jisme hum sub bcchche''hamko man ki shakti dena''jor jor se gaya karte the.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-13168154.post-1139421586455441812006-02-08T11:59:00.000-06:002006-02-08T11:59:00.000-06:00इंटरनेट भी गजब चीज है एक ही पेज पर इकबाल विषैले बी...इंटरनेट भी गजब चीज है एक ही पेज पर इकबाल विषैले बीज बोने बाले और 'सरस्वती शिशु मंदिर' स्वीकार्य ??? <BR/><BR/>खैर आपका गद्य रोचक है।मसिजीवीhttps://www.blogger.com/profile/07021246043298418662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-13168154.post-1132626264147559542005-11-21T20:24:00.000-06:002005-11-21T20:24:00.000-06:00आप सभी लोगों का धन्यवाद हमारा उत्साह बढाने के लिये...आप सभी लोगों का धन्यवाद हमारा उत्साह बढाने के लिये।<BR/>विशेषतः आशीष जी आपका धन्यवाद इकबाल के बारे में ये जानकारी देने के लिये।Sarika Saxenahttps://www.blogger.com/profile/07060610260898563919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-13168154.post-1132423480895494502005-11-19T12:04:00.000-06:002005-11-19T12:04:00.000-06:00वाह सारिका जी आप के बचपन की यादों के बारे में पढ़ क...वाह सारिका जी आप के बचपन की यादों के बारे में पढ़ कर बहुत अच्छा लगा. करीब दस या पंद्रह साल पहले तक मेरी मौसी दिल्ली में सरस्वति शिशु मन्दिर में पढ़ाती थीं इसलिए जाना पहचाना नाम पढ़ कर की अच्छा लगा. उसके बाद क्या हुआ, इसको जानने की उत्सुक्ता रहेगी. सुनीलSunil Deepakhttps://www.blogger.com/profile/05781674474022699458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-13168154.post-1132381716167559902005-11-19T00:28:00.000-06:002005-11-19T00:28:00.000-06:00ये गीत इकबाल का ही है, जो पाकिस्तान के प्रणेता थे।...ये गीत इकबाल का ही है, जो पाकिस्तान के प्रणेता थे। <BR/>इकबाल , ये नाम है एक महान विचारक ,एक महान शायर का.<BR/>अपने जिवन के पुर्वाध मे केब्रीज जाने से पहले १९०५ तक इकबाल के लेखन मे राष्ट्रीयता और सांप्रदायीक सदभाव का एक प्रवाह था. अपनी पीढी से अलग वे भारतीय संस्कृती,धर्म और इतिहास से भलीभांती परिचीत थे. उनकी कविताए उनकी एक सच्चे भारतीय के विशाल हृदय को व्यक्त करती हैं. उनकी कविताओ मे हिन्दु भगवान,सिख गुरूओं , पवित्र नदियों, पर्वतो और भारतीय भूमी का कुशल चित्रण है. हिन्दु , मुस्लीम और सिख परंपराओ पर कविताए लिख कर इक्बाल एक संपुर्ण भारतीय कवी के रूप मे उभर कर आये. १९०४ मे तरन्नुम ए हिन्द मे उन्होने लीखा<BR/><BR/>सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ता हमारा<BR/>हम बुलबुले हैं उसकी वो गुलसितां हमारा<BR/>मजहब नही सिखाता आपस मे बैर रखना<BR/>हिन्दी है हम वतन है हिन्दोस्ता हमारा<BR/><BR/>'राम' को इकबाल ने 'इमाम ए हिन्द' कहा<BR/><BR/>फिर है राम के वजूद पर हिन्दोस्ता को नाज<BR/>अहले नजर समझते है उसको इमाम ए हिन्द<BR/><BR/>ये वही इकबाल है जिसने "नया शिवाला" मे लीखा<BR/><BR/>शक्ति भी शान्ती भी भगवान के गीत मे है<BR/>धरती वासीयों की मुक्ती प्रीत मे है.<BR/>इसी कविता मे आगे उन्होने लिखा<BR/>खाक ए वतन का हर जर्रा मुझको देवता है.<BR/><BR/>अपनी युरोप यात्रा के बाद (१९०८) इकबाल एक बदले हुवे इन्सान थे. उनकी निगाहे बदल चुकी थी. भारत माता एक सपुत को खो चुकी थी. अब इकबाल सिर्फ इस्लाम के दुत(शायर ए इस्लाम्) बन चुके थे. इकबाल ने "सारे जहाँ से अच्छा" को नादानी मे लिखी रचना करार दिया और लिखा<BR/><BR/>चीन और अरब हमारा, हिन्दोस्ता हमारा<BR/>मुस्लिम है हम वतन है सारा जहाँ हमारा<BR/>तेगो के साये मे पलकर हम जवान हुवे हैं<BR/>खन्जर हलाल का है कौमी नशा हमारा<BR/><BR/>अन्त मे इसी इक्बाल ने १९३० मे मुस्लिम राष्ट्रवाद के नाम पर पाकिस्तान के विषैले बिज बोये, जिसकी फसल हम आज तक काट रहे हैं.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-13168154.post-1132379933294451132005-11-18T23:58:00.000-06:002005-11-18T23:58:00.000-06:00कृपया ऊपर टिप्पणी में प्रार्थना गीत को इस तरह पढें...कृपया ऊपर टिप्पणी में प्रार्थना गीत को इस तरह पढें...<BR/><BR/>"दया कर दान विद्या का हमें परमात्मा देना<BR/>दया करना हमारी आत्मा में शुद्धता देना..." <BR/><BR/>typo ने सारा अर्थ ही बदल दिया था।Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी https://www.blogger.com/profile/13192804315253355418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-13168154.post-1132366267848556932005-11-18T20:11:00.000-06:002005-11-18T20:11:00.000-06:00ये गीत ऐसा है कुछ...सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां...ये गीत ऐसा है कुछ...<BR/><BR/>सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा।<BR/>हम बुलबुलें हैं इसकी ये गुलसितां हमारा।।<BR/><BR/>पर्वत वो सबसे ऊंचा हम साया आसमां का।<BR/>वो संतरी हमारा, वो पासवां हमारा॥<BR/><BR/>गोदी में खेलती हैं जिसकी हजारों नदियां।<BR/>गुलशन है जिसके दम से वो रस्के जिना हमारा॥<BR/><BR/>मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना।<BR/>हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्तां हमारा॥ <BR/><BR/>सारिका आपके लेख से बचपन में स्कूल में गाये जाने वाले प्रार्थना गीत हमें भी याद आ गये। जो भी केन्द्रीय विद्यालय में पढा होगा उसे ये याद होगा,<BR/><BR/>"दया कर दान न विद्या का हमें परमात्मा देना<BR/>दया करना हमारी आत्मा में शुद्धता देना..."Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी https://www.blogger.com/profile/13192804315253355418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-13168154.post-1132333395953132052005-11-18T11:03:00.000-06:002005-11-18T11:03:00.000-06:00खूबसूरत।गद्य लेखन की शुरुआत बहुत अच्छा कदम है।महाद...खूबसूरत।गद्य लेखन की शुरुआत बहुत अच्छा कदम है।महादेवी वर्माजी की कुछ कवितायें मुझे बहुत पसन्द हैं।एक है:-<BR/><BR/>बांध लेंगे क्या तुझे<BR/>ये मोम के बंधन सजीले?<BR/>पंथ की बाधा बनेंगे<BR/>तितलियों के पर रंगीले?<BR/>तू न अपनी छांह को<BR/>अपने लिये कारा बनाना<BR/>जाग तुझको दूर जाना।<BR/><BR/>और यादें समेटिये गद्य में। हम उत्सुक हैं पढ़ने के लिये।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-13168154.post-1132332128243325022005-11-18T10:42:00.000-06:002005-11-18T10:42:00.000-06:00बहुत सुन्दर लिखा है, अच्छा लगा।ये गीत अलामा इकबाल ...बहुत सुन्दर लिखा है, अच्छा लगा।<BR/><BR/>ये गीत अलामा इकबाल का ही है, जो बँटवारे में पाकिस्तान चले गये थे। उन्होने काफ़ी कुछ लिखा था। लेकिन इसको सबसे ज्यादा प्रशंसा और शोहरत मिली।Jitendra Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/09573786385391773022noreply@blogger.com