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Saturday, January 21, 2017

कलाकार

कलाकार की कृति को सब देखते हैं,

सराहते हैं।

फ़्रेम में लगाकर दीवार पर सजाते हैं।

पर कौन समझता है 

उस कलाकार के दर्द को,

जिसने सृजन की पीड़ा को सहा है।

कौन देख पता है कि कलाकार अपनी रचना में

लहू के रंग भरता है।

बस सब देखते है उसकी कृति को,

और भूल जाते हैं 

कलाकार को

Monday, January 09, 2017

शाम

शाम सिंदूरी
फैला कच्चा रंग
सूरज शरारती।

Sunday, January 08, 2017

चिड़ियों सी लड़कियाँ

वो पंख फैलाकर उड़ना चाहती थी...
सारे आकाश के विस्तार को छू लेना चाहती थी...
लेकिन समाज के बहेलियों ने उसके पंख काट दिए,
और पटक दिया उसे एक अंधेरी कोठरी में....
डाल दी उसके क़दमों में बेड़ियाँ ।
पर समय बीता.... और सदियों से दबायी हुयी लड़की जाग गयी ।
पंखों की नयी कोंपले रोशनी के साथ ऐसे फूटीं कि
बहेलियों की आँखें चौंधिया गयीं....
चिड़ियों सी लड़कियाँ उड़ गयीं आँख के समाने से....

देखे अब कब तक पंख काटेंगे ये बहेलिए....
की लड़कियों ने उड़ना और
पंखों ने उगना अब सीख लिया है।

--सारिका सक्सेना