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Saturday, December 19, 2015

वापस चेन्नई

आज वापस चेन्नई आ गये।

शहर चल तो रहा है पर थोड़ा सुस्त सा.....
चेहरे भी कुछ उदास से हैं और कुछ नाराज़ से.....                    
शिकायत कुछ 'उस' से है कुछ अपने आप से....
सिमट गया था जब शहर का दायरा तो दिल और बड़े हो गये थे.... एक पन्ना और पलट गया बस वक्त की किताब का।

Tuesday, December 01, 2015

दिसंबर

वक़्त की अंगीठी में सुलग कर, चुक गया ये साल भी 

लो फिर से आया है दिसंबर ज्यों अंत है शुरूवात भी.