Pages

Saturday, October 17, 2009

Sunday, October 04, 2009

तेरी सौगात


मेरी बारिश
मेरा आकाश
मेरी धूप
कितना कुछ तो है
मेरे पास
मुट्ठी में रेत सा दरकता
मेरा वजूद
मेरी सुबहें
मेरी दुपहरें
इंतज़ार से बोझिल
सुनहरी शामें
और खामोश रात
कितना कुछ तो है
मेरे पास
तेरी सौगात