बातें जो दिल से निकलीं ...पर ज़ुबां तक न पहुंची ...बस बीच में ही कहीं कलम से होती हुयी पन्नों पर अटक गयीं... यही कुछ है इन अनकही बातों में...
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Tuesday, October 11, 2005
साथ....
रेत पर लिखा था तेरा नाम मेरे नाम के साथ,
खुशनसीब थे कि हो गया ये उम्र भर का साथ।
खुशबू की तरह तुमको रूह में उतारा है,
जाओ कहीं भी लेकिन रहता है साया साथ।
दुआओं में था असर हम एक दूजे को मिल गये,
लोगों की भी नज़र में है तेरा और मेरा साथ।
खुशी की थी इम्तिहां कि आंख में पानी सा भर गया,
गम और खुशी तो बस ऎसे ही चलते हैं साथ साथ।
Friday, October 07, 2005
हिन्दी के प्रमुख जालघर
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